Wednesday, November 7, 2007

संतो का जीवन


संतो का जीवन-
वे जीवंत रहतें हैं वे जगत में हेो है पर गहन अभिनय करते हुए रहते हैं।
वे किसी से जुड्ते ( मोहब) नहीं होते ।
वे अपति‍िष्ठत रहकर जीते है ।
वह अघोिषत रह कर जीते है ।
हि अज्ञानी मूढ की तरह जीते है (बालवत) ।
वह किसी भी चीज का दावा नहीं करते ।
वे किसी पर निर्भर नहीं होते अपना उत्तरदायित्व स्वयं होते हैं ।
जो होते है उसे होने देते हैं कोई दखल नहीं देते ।
कर्म करके भी अकर्ता बने रहते हैं ।
किसी भी कर्म के लिए उत्सुक नहीं होते अस्तित्व जो करा देते कोई श्रेय भी नहीं लेते ।

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